दोस्तों आज विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है | यदि कोई 100 साल पुराना व्यक्ति अगर विज्ञान की इस तरक्की को देखेगा तो वह अपने दातों तले उंगली दबा लेगा | पेंसिल से लेकर रॉकेट तक के अविष्कार के सफर के बीच में वैज्ञानिकों ने कई सारी अनोखी चीजों का अविष्कार किया हैं | उनकी खोज “थी” तक सीमित नहीं रही अभी तक जारी है । आज के इस पोस्ट में हम आपको Satellite Kaise Kam Karta hai – उपग्रह (सैटेलाइट) क्या हैं? के बारे में जानकारी देने जा रहे है |
Satellite kya hota hai – Satellite क्या है ?
सैटलाइट मानव द्वारा निर्मित वह उपकरण है, जो पृथ्वीके बाहर चक्कर लगाते रहता है | इसे हिंदी में उपग्रह कहते है | पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा है । Sateliite का आकार भिन्न भिन्न होता है | उसका आकार उसकी उपयोगिता के आधार पर छोटा या बड़ा होता है । सैटेलाइट की गति को वैज्ञानिक अत्यधिक दूरी से भी किसी कंट्रोल द्वारा चेंज कर सकते है।
सैटेलाइट मनुष्य द्वारा बनाई गई एक अनोखा उपकरण है जिसमे करीब 1 अरब मेगा पिक्सल का कैमरा लगा होता है । सैटेलाइट को अंतरिक्ष में रॉकेट की मदद से लॉन्च किए जाते हैं |
सैटलाइट का कैमरा अत्याधिक mega pixel का होता है। हाल ही में यूरोपीय सैटेलाइट एजेंसी ने जो Satellite लॉन्च किया उसमे करीब 1 अरब मेगा पिक्सल का कैमरा लगा है जो अंतरिक्ष में होने के बावजूद मनुष्य के हर प्रतिक्रिया को देख सकता है ।
सैटेलाइट में कुछ ऐसे यंत्र लगे होते हैं जिसके जरिए उसे कंट्रोल center से control किया जाता है । तथा उसके दोनो साइड सोलर पैनल लगी होती है जो ऊर्जा प्राप्त कर Satellite को चलाती है ।
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Satellite Kaise Kam Karta Hai
सेटेलाइट का हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण उपयोग है | मानव जीवन में कई ऐसे कार्य है जो सेटेलाइट के माध्यम से ही संभव हो पाते है | सेटेलाइट में सोलर पैनल लगे होते हैं जिसकी वजह से उसे ऊर्जा मिलती है | सेटेलाइट का आकार उनकी कार्य क्षमता के अनुसार होता है | Satellite एक छोटे से डिब्बे से लेकर एक बस के आकार का भी हो सकता हैं |
सेटेलाइट में ट्रांसमीटर लगे होते हैं जिसे सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है तथा पृथ्वी का इमेज लेने के लिए एक कैमरा सेटअप भी लगा होता है | स्केनर भी लगे होते हैं | सैटेलाइट का उपयोग कम्युनिकेशन के लिए भी किया जाता है अर्थात वार्तालाप के लिए | पृथ्वी पर हम एक जगह से जब कोई सिग्नल सैटेलाइट को भेजते हैं तो वह पृथ्वी की दूसरी ओर सिग्नल भेज देता है | जिसकी वजह से एक व्यक्ति कहीं दूर बैठे व्यक्ति से बड़ी आसानी से बातचीत कर सकता है |
सेटेलाइट में कुछ ऐसे यंत्र लगे होते हैं जिसको धरती पर बैठे-बैठे रिमोट द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है | उसी कंट्रोलर द्वारा कंट्रोल करके मनुष्य सेटेलाइट द्वारा मदद लेता है | जैसे अंतरिक्ष में जानकारी लेनी हो, पृथ्वी के बाहर हो रही घटनाओं की जानकारी लेनी हो, फोटो लेनी हो इत्यादि |


Satellite कितने प्रकार के होते है
Saitelite कई प्रकार के होते तथा इनके size में भी भिन्नता होती है वैसे तो सैटेलाइट मुख्यात: 3 प्रकार के होते है
- Low Earth Orbit Satellite
- Medium Earth Orbit Satellite
- High Earth Orbit Satellite
Low Earth Orbit Satellite –
ये Satellite अर्थ के सबसे पास होते है। इनकी गति काफी तेज होती है इन Satellites की ऊंचाई 1600 km के अंदर होती है अर्थात् इनको 160 km से 1600 km की ऊंचाई तक रखा जाता है।
Medium Earth Orbit Satellite –
ये Satellites low Earth Orbit Satellite से अधिक ऊंचाई पर स्थापित होते है इनकी ऊंचाई 10000 km से 20000 km तक की होती है ।
High Earth Orbit Satellite –
ये Satellites दोनों की तुलना में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थापित होते हैं इनकी ऊंचाई लगभग 36000 km होती है ।
Space में कई सारे Satellites भेजें का चुके हैं जिनमे से कई सैटलिट खराब हो चुके है खराब हो जाने पर Satellites को Earth पर इन्हें गहरे समुद्र में ऐसी जगह गिराया जाता है जा मिलों तक कोई न हो ।
Satellite के उपयोग
Satellite हमारे लिए अत्याधिक उपयोगी है | Satellite के माध्यम से हमें विभिन्न प्रकार की जानकारी मिलती जैसे मौसम के बारें में , adress , calling , video calling , gps tracking इत्यादि। सेटेलाइट के माध्यम से अंतरिक्ष में छिपे रहस्यों का पता लगाते हैं तथा कुछ देश जासूसी में भी इसका उपयोग करते हैं।
अलग अलग देशों का अपना अपना Satellite होता है |
भारत का अन्तरिक्ष अनुसंधान (ISRO)
भारत देश का खुद का एक रिसर्च सेंटर है जिसका नाम ISRO है | इसका पूरा नाम ( Indian space reasearch organization ) है जिसका मुख्यालय मैं है बेंगलुरु में है |जिसकी स्थापना डॉक्टर विक्रम साराभाई ने की थी | इसरो ने अपना पहला सेटेलाइट 1975 में लांच किया जिसका नाम आर्यभट्ट था। इस अनुसंधान में लगभग 17000 व्यक्ति कार्य करते हैं।
भारत देश में ISRO के लगभग 20 सेंटर मौजूद है | ISRO द्वारा अब तक 105 से भी ज्यादा सैटेलाइट लॉन्च किया जा चुका है | ISRO द्वारा पहला सेटेलाइट चंद्रमा पर भेजा गया जिसका नाम चंद्रयान था | इसको वहां तक पहुंचने में लगभग 5 दिन का समय लगा यह चंद्रयान isro की सबसे बड़ी उपलब्धि रही है |
हमारे देश का अपना खुद का सैटेलाइट है | भारत देश ने विज्ञान के क्षेत्र में भी काफी तरक्की कर ली है । भारत देश Satellite बनाने के साथ साथ उसे लॉन्च भी करता है | हमारे Satellite भी high photo grafic लेने में सक्षम है | भारत दूसरे देशों के Satellite को किराए पर भी लेता है लेकिन भारत अपना Satellite किराए पर नही देता क्योंकि ISRO अपनी खुद की जरूरतो को पूरा करने में लगा है | ISRO के पास अभी इतने सैटेलाइट नही ही कि वह अपना Satellite दूसरे देश को किराए पर दे सके । भारत अपने अपने जरूरतों को पूरा करने के लिए अभी और भी Satellite निर्माण कर रहा है ।
भारत देश पहला ऐसा देश है जो मंगल ग्रह पर जाने के mission में एक ही बार में कामयाब हुआ | मंगल अभियान 5 नवंबर 2013 को चलाया गया जो भारत के इतिहास का एक सफल अभियान है यह मंगल अभियान 24 सितंबर 2014 को मंगल ग्रह पर पहुंचा ।
NASA (NATIONAL AERONAUTICS and SPACE ADMINISTRATION)
भारत की तरह ही अमेरिका का भी एक अंतरिक्ष अनुसंधान है जिसका नाम nasa है | इसका पूरा नाम NATIONAL AERONAUTICS and SPACE ADMINISTRATION है | नासा का काम सेटेलाइट की मदद से पृथ्वी के बाहर से खोज करना, अंतरिक्ष में हो रही घटनाओं का पता लगाना तथा अन्य कार्य है | चांद पर पहुंचने वाला नासा द्वारा बनाया गया सबसे सफल प्रोजेक्ट अपोलो यान जो चंद्रमा पर पहुंचने वाला सबसे पहला अंतरिक्ष यान था | नासा का मुख्यालय वाशिंगटन है | इसकी स्थापना 19 जुलाई 1958 में हुई थी।
पूरे विश्व में अमेरिका ने अब तक सबसे ज्यादा सैटेलाइट लॉन्च किया है | जिसने लगभग 800 से भी ज्यादा सैटेलाइट लॉन्च किया है | दूसरे नंबर पर आता है चाइना | चाइना ने अब तक लगभग ढाई सौ से भी ज्यादा सैटेलाइट लॉन्च किया है | तीसरे नंबर पर आता है रसिया जिसने अब तक लगभग 150 के आसपास सैटेलाइट लॉन्च किया है | चौथे नंबर पर आता है जापान जिसने अब तक करीब करीब 70 से भी ज्यादा सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेज चुका है |
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